Tuesday, September 20, 2016

धिम्मी अन्ना का सच्चा मुनमुन


अन्ना तिरुपति से सीधा कार्यालय आये... साथ में प्रसादम्... बड़े बड़े, मेवा मिश्री वाले तिरुपति भगवान् को चढ़ाये गए लड्डू। प्रसाद की गंध मिलते ही श्रद्धा के साथ साथ जिह्वा की स्वाद कलिकाएँ भी किल्लों किल्लों कर उठीं। पूरी टीम पहुँच गयी। अन्ना का हाल चाल पूछते हुए प्रसाद छकने लगी। हमने मुनमुन भाई (कृपया मोमिन पढ़ें) को आवाज लगायी। हमें पता था मुनमुन भाई नहीं लेंगे प्रसाद... फिर भी ये जानने के लिए की मुनमुन मियां आज क्या बहना मारते हैं हमने बुला लिया...
मुनमुन मियां ढेर सारी ज़हीनियत, जो की शायद मुंह में ढेर सारा बलग़म भर लेने से स्वतः आ जाती है, भर कर बोले - आज तो हज़रात हम कुछ भी नहीं खा सकते...
हमने पुछा क्योंकर मियां?
बोले, रोज़े चालू होनें वाले हैं उसी की आदत डाल रहे हैं। मसलन प्रैक्टिस कर रहे हैं।
हमने कहा मियां - मैच से पहले मैच प्रैक्टिस सुनी थी, शांतिकाल में युद्धाभ्यास (वार प्रैक्टिस) सुनी थी, परीक्षा से पहले अच्छी कलम से हैण्ड राइटिंग प्रैक्टिस सुनी थी, अविवाहित लोगों में हैण्ड प्रैक्टिस सुनी थी... तुम मुनमुन मियां रोज़ा प्रैक्टिस कब से करने लगे बे?

खैर बात आई गयी हुई... तीसरे दिन मुनमुन भाई बकरे के गोश्त की बिरयानी लाये... खाने खिलाने के शौक़ीन हैं मुनमुन भाई बशर्ते मामला हलाल हो। पूरी टीम को खुल्ला न्योता। आओ और टूट पड़ो बिरयानी पे। अन्ना भी बिरयानी में दबा नल्ला चूस चूस के खाने लगे। अन्ना बोले - ऐसा बिरयानी कही नहीं मिलता जैसा हैदराबाद का लोग बनाता... हमारा कल्चर ही ऐसा रिच है। रिच कल्चर, रिच बिरयानी... अक्रॉस रिलिजन... हिन्दू मुस्लिम सब खाता है...
मैंने कहा अन्ना ये हलाल किया माल है, बोले तो तड़पा तड़पा के मारे हुए बकरे को पहले अल्ला मियां को चढ़ाया गया है। फिर तुमको उसका प्रसाद मिल रहा है ये... अन्ना भड़क गए... बोले तुम साला पागल है। क्यों इतना डीप में जाकर देखता है... मैंने कहा सच कहते हो अन्ना। तुम्हारे प्रसाद को वो नहीं खाता क्योंकि तुम काफिर हो, तुम्हारे भगवान् का प्रसाद उसका ईमान भ्रष्ट कर देगा मगर तुम्हारा धर्म, जिसमे जीवों की क्रूरतापूर्वक हत्या की मनाही है, नहीं जाता इतने डीप में। पता भी नहीं करता की हलाल होता क्या है। अन्ना ने अपना आखिरी और अमोघ अस्त्र सेकुलरास्त निकाला - बोले हमारा मिक्स कल्चर है। मैंने कहा अन्ना चुतियाप न हगो। दाल और कंकड़ का कोई मिक्स कल्चर नहीं होता। कितना भी पका लो, दाल हलवा हो जायेगी पर कंकड़ न गलेगा। तुम अंधे हो जो तुम्हे अपने प्रसाद का अपमान नहीं दीखता। अन्ना बिरयानी में मगन, चुस्ती के अंदर का बोन मेरो निकालते हुए मुझे इग्नोर करने लगा।
#धिम्मीअन्ना
#सच्चामुनमुन

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