Tuesday, January 20, 2015

चिड़ियाघर


पिंजड़े में बंद पल्टू बन्दर पुरे चिड़ियाघर में कोलाहल मचाये  रखता था | कभी चिड़ियाघर  के कर्मचारियों पर रसद में गड़बड़ी का आरोप लगता तो कभी खरगोश या हिरन से डिबेट करने के लिए ललकारता | गुलाटी मरने में एक्सपर्ट था | कब क्या कहे और कब पलट जाये  उसका कोई भरोसा न था | उसके साथी बन्दर तड़ से उसकी हाँ में हाँ मिलाते थे | चिड़ियाघर का प्रशासन आजिज़ आ चूका था पल्टू से ... लेकिन बन्दर की गुलाटी देखने वाले कमसिन बच्चों में बड़ा रोमांच पैदा करती ... ये देख पल्टू का हांथी को चैलेन्ज कर दिया ... वो देख पल्टू ने खरगोश का MMS शूट कर लिया | पल्टू के देखने वालों का जमकर मनोरंजन होता था | मगर चिड़ियाघर के बाकि जानवर बड़े दुखी थे ... आये दिन नाक में दम किया रहता था | कभी हिरन से कहता तुम्हारे पानी के मीटर में हवा घुस जाति है | कभी लकड़बग्घे का चोरी का बिज़ली कनेक्सन जोड़ने के लिए खम्भे पे चढ़ जाता| immature तो था मगर खुद को दुनिया का पहला अकल्मन्द कहते न थकता| ऊपर से तुर्रा ये की मै तो एक छोटा सा बन्दर हूँ जी ... मेरी तो कोई औकात ही नहीं है |

कुछ दिनों बाद चिड़ियाघर में एक शेरनी की एंट्री हुई | शेरनी ने बड़े बड़े सूरमाओं को धुल चटाया था | ४० सालों से प्रशासन पर नियंत्रण का तजुर्बा | गज़ब की रोबदार | आते ही दहाड़ मारी | मय पल्टू, बंदरों की मूत निकल गयी | दो दिन तक हलकान रहा पल्टू | डर के मरे सारी गुलाटी भूल गया | सदमे में था ... क्या करे | सोचा की डर के आगे ही जीत होगी... आजतक जिस मंतर से बाकि के जानवरों छकाया था उसी को शेरनी पर आजमाने की सोची|

प्रेस कांफ्रेंस बुलाई | कलैया मार के, माइक घुमा के बोला ... साथियों ये जो शेरनी जी आई हैं नयी नयी, मैं इनको युद्ध के लिए चैलेन्ज करता हूँ| "युद्धं देहि" | दोनों एक रिंगमास्टर की निगरानी में लड़ेंगे | कमसिन बच्चों ने फिर से तली बजाई | फंसा दिया पल्टू ने | अब शेरनी लड़ें तो उसकी बेईज्यती ना लड़ें तो भी| कमसिन बच्चे होने वाले नाटक के लिए फिर से रोमांचित हो उठे |

शेरनी जीवन में इस तरह के छिछोरेपन से हमेशा दूर रही | बोली हे महापुरुष , युगपुरुष , महान क्रन्तिकारी , गुलाटीनरेश, किन्नरों के मसीहा , नक्सलों रक्षक , तमाशबीनों के चहेते - आप की जय हो | धर्म के अनुसार किसी कार्य के लिए देश (स्थान), काल (समय), और पात्र (योग्यता) का ध्यान रखना होता है | यदि आपकी पात्रता को मैं इग्नोर भी कर दूं तो देश और काल सही नहीं है ... १० फरवरी को पिंजड़ा खुलेगा, फिर कर लेंगे युद्ध |

बन्दर  - "दीदी डर गयी, दीदी डर गयी, दीदी डर गयी" कहते हुए जोर जोर से गुलाटी मरने लगा | साथी बन्दर ची ची करने लगे | कमसिन बच्चों ने एक बार फिर पल्टू के लिए तालियाँ बजायी..... शेरनी ने फिर जोर से दहाडा| पल्टू की मूत अटक गयी ...  


-- उजड्ड बनारसी

हर हर महादेव 

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