एक बार एक निकम्मों के घर विवाह पड़ा, हेड निकम्मे की बहन कम्मो का ... निकम्मे पुरे गाँव को चिंघाड़ चिंघाड़ के सुना रहे थे के शादी कैसी होती है ये तो हम दुनिया को दिखा देंगे जी ... निकम्मों के चमचों ने कहना शुरू कर दिया की हमारा सुप्रीमो एक टॉप क्लास का युगपुरुष है ... ये शादी जैसी संस्था की गन्दगी को साफ़ करने आया है ....
शादी का दिन आया ... कोई तैयारी न थी | कहाँ का द्वार पूजन, कहाँ का पर्छावान, सील लोढ़ा, सूप, मूसल तक का इन्तेजाम न था| ना खाने की कोई व्यवस्था न बैठने का कोई इंतज़ाम ... बाराती बमक गए ... बहुत खरी खोटी सुनाई ... कुछ ने थप्पड़ और घूंसे भी मारे ... बड़ी बदनामी हुई | बारात लौट गयी ...
अगले दिन से निकम्मों का घर से निकलना मुश्किल | जिधर जाते.. गांव वाले पकड़ के चार बातें सुनाते ... गाँव की बदनामी का रोना रोते ....
हेड निकम्मे ने एक जुगत लगायी - अगले दिन से सभी निकम्मे आपस में एक दुसरे को गाली देने लगे ... खुले आम | किसी ने उसको चोर कहा तो किसी ने अगले के उसके पितृ रस की वैधानिकता को कटघरे में खड़ा कर अपनी ओर छोड़े गए गाली के तीर को हवा में ही नेस्तोनाबूत कर दिया ... सब निकम्मे एक दुसरे को गाली देते रहे... कुछ घर छोड़ कर चले गए ... बोले मेरा दम घुटता है ... इस घर में आतंरिक शौचालय नहीं है ... कम्मो भी
जब घमासान अपने चरम पे पहुंचा हेड निकम्मा एंट्री मरता है ... भाइयों! फैसला करो की आप आपस में लड़ना चाहते हो या पडोसी गाँव के प्रधान से जिसकी वजह से हमारे गाँव की बेटियों की शादी नहीं हो पा रही है ... वो अपने गाँव की शादियों में अच्छा इन्तेजाम करता है ... इसलिए हमारे यहाँ आने वाले बाराती भी वही ट्रीटमेंट एक्स्पेक्ट करते हैं | ये सरासर भ्रष्टाचार है |
भोले भाले गाँव वाले ये तिकड़म ना समझ सके ... निकम्मों की नूरा कुश्ती के चक्कर में ये भूल गए की निकम्मों की कम्मों की अभी भी अनब्याही है ... गाँव की इज्ज़त को इनलोगों ने ही उछाला है ... पडोसी गाँव से लड़ने की बात समझ न सके ... निकम्मे फिर से गाँव की सभाओं में स्थान पाने लगे ... हुक्का पानी चालू हो गया
रात को ठेके पर टकलू निकम्मे ने हेड निकम्मे से कहा ... बड़ी हरामी खोपड़ी पाए हो भैया ... हेड ने खांसते हुए अपनी उपलब्धि को संतोष भरी स्वकृति दी|
-- उजड्ड बनारसी
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