हमारे यहाँ सरकारी विभागों में एक कहावत है - बने रहो पगला, काम करेगा अगला |
जब मैं मनमोहन सिंह (अरे भूल गए क्या? ये हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री जी हैं) को इस कहावत में लपेटता हूँ तो बड़ा सटीक दृश्य उपस्थित होता है |
भला हो विनीत नारायण जी का, गर्व होता है ऐसे लोगों पर | प्रधानमंत्री जी आपका ऑफिस कहाँ से नियंत्रित होता है ये बात जाते जाते बता दीजियेगा | आप तो पगला बने रहेंगे, पीछे से इतालवी माफिया हर एक महत्वपूर्ण विभाग में गंध फैलाते रहेंगे |
ये सब गन्दगी उस आने वाले को साफ करनी पड़ेगी | आप लोग जितना हो सके कांटे बो रहे हैं|
क्यों न ये मान लिया जाये की सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर पर अपना आदमी बिठा कर, आने वाले समय में आप स्वयं के खिलाफ होनी वाली तमाम जांचों को प्रभावित करना चाहते थे | लोकपाल के चयन पर आप अपना रंग दिखा ही चुके है |
सरदार जी! कहीं आप इस गफलत में तो नहीं की कौरव पक्ष में होते हुए भी आपको भीष्म की ख्याति प्राप्त है ? जी नहीं, आप तो वो अश्वत्थामा हैं जिसके सर पर हमेशा शिशु वध जैसा जघन्य पाप मंडित रहेगा |
१० साल तक छला है आपने| आपको मुखिया मान कर हम उस विषकन्या को भूल जाते थे | मगर आप तो उसी विषकन्या के केंचुल बने रहे १० साल तक जिसे अब बड़ी चालाकी से विषकन्या उतारने वाली है | नंदन नीलकानी के रूप में एक दूसरा चम्पू केंचुल बन जाने को बेताब है |
मुर्ख बनकर महामूर्ख बनाया है अपने | आपका किया एक भी काम लोगों को नहीं दीखता| शायद इसलिए आम जन से ज्यादा आपको और इंदिरा कांग्रेस को "राजीव आवास योजना का सहारा है"
-- उजड्ड बनारसी
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