Sunday, February 16, 2014

छिद्रान्वेषण -3


झींगुर बो (स्वर्गीय झींगुर की मेहरारू) और रामसेवक की सब्जी की दुकाने अगल बगल थी| झींगुर बो  जहाँ सस्ती सब्जी देती थी, वही रामसेवक अच्छी | जनता रामसेवक की कार्यकुशलता और ईमानदारी से प्रसन्न थी |

झींगुर बो का भतीजा पल्टूवा एक नंबर का नाकारा था | दिन भर सारी दुनिया को गरियाता और पैसे के लिए फुवा के कलेजे पर मुंग दलता | स्टील की गिलास में ताड़ी पीने के बाद उसके ज्ञान की सीमायें राजनीती, काजनीति , इतिहास, भूगोल , समाज, विज्ञान आदि से परे बकवासनिति पर जाकर दम लेती थीं | समय समय पर अपने पिता, फुवा , फूफ्फा आदि को सम भाव से गरियाने के कारण वह पंथनिरपेक्ष गालीबाज हो गया था|
मोहल्ले के कुछ और लोंडे जो पल्टू की तरह ही नाकारा थे मगर गरियाने में उतने पारंगत न थे , पल्टू के गंडाबद्ध शागिर्द हो गए | ताड़ी की एक सिप के लिए कहीं भी आग मूतने को तैयार |

समय बीता, झींगुर बो को पल्टूवा के बियाह की चिंता हुई | खटिक समाज बालाओं के पिता झींगुर के नाम से बिदकते थे | इस बात पर पल्टूवा अपने मोहल्ले के लोगों से खार खाए बैठा था |

उधर राम सेवक की सब्जी की दुकान चल निकली| प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिया झींगुर बो 3 किलो पियाज के साथ १ पाव टमाटर मुफ़्त की फ़ूड सिक्यूरिटी टाइप स्कीम ले आयी | धनिया और मिर्चा भी मुफ़्त देने लगी | कुछ भीड़ तो जमी लेकिन व्यापार में नुक्सान होने लगा | इसका सीधा असर पल्टू की मटरगस्ती पर पड़ा |

एक तो बियाह न होने की कुंठा | और अब स्टील के गिलास में ताड़ी पिने का आनंद भी खतरे में |
पल्टू को एक आइडिया आया | झट से स्टील की गिलास में ताड़ी उड़ेली और बैठ गया धरने पर| लगा रामसेवक के बारे में अनाप शनाप बकने | चेले चपाटी भी आ गए और लगे चिल्लाने - अट लीस्ट ही इज़ डूइंग समथिंग ना |

पल्टू माइक पे - साथियों , रामसेवक जो हरी साग बेचता है वो रिलायंस फ्रेश से खरीद के ले आता है | जो आलू आपको बेचता है वो यहाँ के विधायक के आलू मील से आती है, मैं बहुत छोटा आदमी हूँ और मेरी कोई औकात नहीं (आस पास जमा लोगों ने कहा ... हाँ वो तो सही है बे ... तेरी कोई औकात नहीं). रामसेवक बेईमान है, इसकी जांच होनी चाहिए |

पल्टू के इस रूप को देखकर झींगुर बो बहुत खुश हुई | पल्टूवा आजतक किसी काम नहीं आया लेकिन रामसेवक का काम बिगड़ने के लिए इसको ये मोटिवेशन कहाँ से मिला ... ये ऐसे ही ठीक है ... इसका बियाह नहीं करूंगी |

झींगुर बो की दुकान चलती रहे इसके लिए जरूरी है की ताड़ीबाज पल्टू , मेहनती रामसेवक को अनाप शनाप बके और रामसेवक का सारा श्रम पल्टू की बकचोदी को साधने में व्यय हो |


हर हर महादेव

-- उजड्ड बनारसी 

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