जब भी सोचता हूँ की आज कुछ लिखूं वो भी अंगरेजी में मेरा हिन्दी प्रेम मुझे वापस मेरी मिट्टी की ओर खींच लाता है। मेरी समस्या ये है की मेरे जो कुछ भी गिने चुने पाठक है वो सभी अहिन्दीभाषी हैं सिवाय दो मित्रों के। हालाँकि मेरा अंग्रेजी लेखन बुरा से तुच्छ हो चुका है, जिसे मैं एक महान उपलब्धि मानता हूँ, लेकिन फ़िर भी लोगों के आकर्षण का पात्र बनने में न जाने कितना समय और लगे।
आज लेखन पर कुछ लिखना चाहता हूँ। इधर बीच मैंने देखा है की लोगों में लेखन और अध्यापन का नया जोश सवार हुआ है। यहाँ मैं ज्यादातर अंग्रेजी साहित्य के नव पाठकों का जिक्र कर रहा हूँ। यदि मेरा वर्गीकरण ठीक ठाक है तो तीन तरह के अंग्रेजी साहित्य प्रेमी भारत में पाए जा सकते हैं। यह टिपण्णी मुख्य रूप से भारत के अंग्रेजी लेखकों पर है पर कमोबेश पाठकों पर भी अजमाई जा सकती है।
पहले वो जो क्षेत्रीय और राष्टीय भावनाओं से ऊपर उठ चुके हैं। जिनके सामने अंग्रेजी पढने के अलावा कोई विकल्प ही नही है। उदाहरण के लिए हमारे महानगरीय मित्र। पूर्ण अंग्रेजी मध्यम में पढ़ने से इन्हे लगता है की दुनिया और साहित्य अंग्रेजी और अंग्रेजियत तक ही सिमित है। यह इनका अपराध नही अज्ञान है। यकीन मानिये ये लोग सचमुच नही जानते की राष्ट्रीय या क्षेत्रीय भाषाओँ में कुछ लिखा भी जाता है और यदि लिखा भी जाता है तो क्या पढ़ा भी जाता है। लेकिन ये लोग भारत में उपलब्ध श्रेष्ठ अंग्रेजी पाठक हैं।
दूसरी कतार उन दिलचस्प लोगों की है जो हर भाषा के पाठकों में है। ये लोग दिखावे के लिए पढ़ते हैं। ये लोग सिर्फ़ इसलिए Five point someone खरीद लेते हैं क्यूंकि कल रोहित बोल रहा था की क्या Novel है यार। उपन्यास सचमुच उत्कृष्ट है लेकिन इसका इतना चर्चित होना इन पिछलग्गू अंग्रेजी पाठकों की उपस्थिति दर्शाता है।
तीसरी कतार है उपनगरीय दिग्भ्रमित लोगों की जिन्हें किसी ने कह दिया होता है की "अगर अपनी अंग्रेजी सुधारनी है तो अंग्रेजी का News Paper लीजिये, अंग्रेजी News Channel देखिये, आजकल तो एक उपन्यास आया है One Night At .... करके, वो पढिये, बिना अंग्रेजी जाने आप सबकी बराबरी नही कर सकते, अमिताभ बच्चन को ले लीजिये इंतनी अच्छी हिन्दी बोलने वाला व्यक्ति Blog किसमे लिखता है? अंग्रेजी में!" शायद ये भूल जाते हैं की उसी अमिताभ के पिता जी स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन, जिनके नाम एक कीर्तिमान है -भारत के प्रथम नागरिक जिन्होंने अंग्रेजी में Ph. D. किया - वो हिन्दी में लिखते थे। और लेखन के मामले में वो अमिताभ से कही ज्यादा चर्चित थे।
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3 comments:
Gud one Neeraj Ji..Padh kar accha laga
I wanted to give comments in hindi but did't find Hindi fonts :)
Thanks sir Ji
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