पल्टू बैठा छत पर , लियो दरबार लगाय |
नेवता दिया मीडिया को, कैमरा दियो सजाय ||
सब नेतवन टोपी में , पल्टू मफलर ताने |
भीड़ बढ़ी दरवज्जे तो लगा पसीना आने ||
सोचा नाटक देखने सुबह सुबह सब आय |
जनता बैठी छाती, तब हाय हाय चिल्लाय ||
कहे उजड्ड यह लोकतंत्र, जो जितना गरियाय |
जनता देखे इस तरफ, उधर "काम" होई जाय ||
हर हर महादेव
--- उजड्ड बनारसी
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